Bajrang Baan

Shri Bajrang Baan Lyrics | Hanuman path

Shri Bajrang Baan Lyrics in Hindi

|| दोहा ||
निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें सनमान |
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ||

|| चौपाई ||
जय हनुमंत संत हितकारी | सुन लीजै प्रभु अरज हमारी |1|

जन के काज विलम्ब न कीजै | आतुर दौरि महा सुख दीजै |2|

जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा | सुरसा बद पैठि विस्तारा |3|

आगे जाई लंकिनी रोका | मारेहु लात गई सुर लोका |4|

जाय विभीषण को सुख दीन्हा | सीता निरखि परम पद लीन्हा |5|

बाग उजारी सिंधु महं बोरा | अति आतुर यम कातर तोरा |6|

अक्षय कुमार मारि संहारा | लूम लपेट लंक को जारा |7|

लाह समान लंक जरि गई | जय जय धुनि सुर पुर महं भई |8|

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी | कृपा करहु उर अन्तर्यामी |9|

जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता | आतुर होय दुख हरहु निपाता |10|

जै गिरिधर जै जै सुखसागर | सुर समूह समरथ भटनागर |11|

ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले| बैरिहिं मारू बज्र की कीले |12|

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो | महाराज प्रभु दास उबारो |13|

ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो | बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो |14|

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा | ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा |15|

सत्य होहु हरि शपथ पाय के | रामदूत धरु मारु धाय के |16|

जय जय जय हनुमंत अगाधा | दु:ख पावत जन केहि अपराधा |17|

पूजा जप तप नेम अचारा| नहिं जानत कछु दास तुम्हारा |18|

वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं | तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं |19|

पांय परों कर जोरि मनावौं | यहि अवसर अब केहि गोहरावौं |20|

जय अंजनि कुमार बलवन्ता | शंकर सुवन वीर हनुमंता |21|

बदन कराल काल कुल घालक | राम सहाय सदा प्रति पालक |22|

भूत प्रेत पिशाच निशाचर | अग्नि बेताल काल मारी मर |23|

इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की | राखु नाथ मरजाद नाम की |24|

जनकसुता हरि दास कहावौ | ताकी शपथ विलम्ब न लावो |25|

जय जय जय धुनि होत अकाशा | सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा |26|

चरण शरण कर जोरि मनावौ | यहि अवसर अब केहि गौहरावौं |27|

उठु उठु चलु तोहिं राम दुहाई | पांय परौं कर जोरि मनाई |28|

ॐ चं चं चं चं चपल चलंता | ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता |29|

ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल | ॐ सं सं सहमि पराने खल दल |30|

अपने जन को तुरत उबारो | सुमिरत होय आनन्द हमारो |31|

यह बजरंग बाण जेहि मारै | ताहि कहो फिर कौन उबारै |32|

पाठ करै बजरंग बाण की | हनुमत रक्षा करैं प्राण की |33|

यह बजरंग बाण जो जापै | तेहि ते भूत प्रेत सब कांपे |34|

धूप देय अरु जपै हमेशा | ताके तन नहिं रहै कलेशा |35|

|| दोहा ||
प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान |
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ||

Shri Bajrang Baan Path | Jai Bajrang Bali