Chehra hai ya

Chehra hai ya chand Lyrics | Saagar(1985)

Sagar Jaisi Aankhon Wali – Chehra hai ya chand khila hai | kishore kumar

हो चेहरा है या चाँद खिला
है ज़ुल्फ़ घनेरी शाम है क्या
सागर जैसी आँखों वाली
यह तो बता तेरा नाम है क्या
चेहरा है या चाँद खिला
है ज़ुल्फ़ घनेरी शाम है क्या
सागर जैसी आँखों वाली
यह तो बता तेरा नाम है क्या

तू क्या जाने तेरी खातिर
कितना है बेताब यह दिल
तू क्या जाने देख रहा है
कैसे कैसे ख्वाब यह दिल
दिल कहता है तू है यहाँ तो
जाता लम्हा थम जाए
वक्त का दरिया बहते बहते
इस मंज़र में जम जाए
तूने दीवाना दिल को बनाया
इस दिल पर इल्जाम है क्या
सागर जैसी आँखों वाली
यह तो बता तेरा नाम है क्या

हो आज मैं तुझसे दूर
सही और तू मुझसे अनजान सही
तेरा साथ नहीं पाउ तो
खैर तेरा अरमान सही
यह अरमान हैं शोर नहीं
हो ख़ामोशी के मेले हो
इस दुनिया में कोई नहीं हो
हम दोनों ही अकेले हो
तेरे सपने देख रहा हूँ
और मेरा अब्ब काम है क्या
सागर जैसी आँखों वाली
यह तो बता तेरा नाम है क्या
चेहरा है या चाँद खिला है
ज़ुल्फ़ घनेरी शाम है क्या
सागर जैसी आँखों वाली
यह तो बता तेरा नाम है क्या.

Chehra hai ya chand khila hai – kishore kumar, Saagar (1985)